BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।

अथवा
क्रांतिकारी गुरिल्ला युद्ध की अवधारणा व सिद्धान्तों को सोदाहरण समझाइए विशेषकर चे ग्युवारा के विचारों में लिखिए।
अथवा
छापामार युद्धकला में चे ग्युवेरा के विचार व्यक्त कीजिए।

अथवा
चे ग्वेरा द्वारा प्रतिपादित छापामार युद्धकर्म की स्त्रात्रेजी एवं सामरिकी की विवेचना कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. चे ग्वेरा द्वारा प्रतिपादित गुरिल्ला युद्धकर्म के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
2. छापामार युद्धकर्म में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
3. चे ग्वेरा द्वारा प्रतिपादित युद्ध कला की अवधारणा का संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
4. छापामार युद्धकला पर चे ग्वेरा के विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर -

चे ग्वेरा क्यूबा का प्रमुख गुरिल्ला विचारक एवं गुरिल्ला सेनानी था। चे ग्वेरा ने क्यूबा को स्वतन्त्र कराने में केमिल्ले, फीडेल कास्त्रों तथा राहुल के साथ मिलकर महान् भूमिका अदा की। चे-ग्वेरा ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "गुरिल्ला युद्ध के सामान्य सिद्धान्त" के अन्तर्गत अपने सिद्धान्तों को समाहित किया है। क्यूबा की सफल क्रान्ति के पश्चात् छापामार युद्ध कला के निम्न मौलिक निष्कर्षो का उल्लेख किया -

(i) सुसंगठित एवं अनुशासित जनशक्ति छापामार लड़ाइयों में सेना के विरुद्ध विजय प्राप्त कर सकती है।

(ii) क्रान्ति हेतु अनुकूल दशाओं की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह वह दशा है जो उत्पन्न की जाती है।

(iii) क्रान्तिकारी युद्धों के लिए अमेरिका के अर्द्धविकसित राष्ट्र एक अच्छे युद्ध स्थल हैं।

चे ग्वेरा के उपयुक्त तीनों आधारभूत सिद्धान्त मार्क्सवाद, लेनिनवाद के सिद्धान्तों और कुछ माओवाद की शिक्षाओं से पृथक हैं, क्योंकि उसने सशस्त्र विद्रोह को राजनीतिक संघर्ष का अन्तिम रूप मानकर सशस्त्र लड़ाई द्वारा राजनीतिक मुहिम को निर्णयात्मक महत्व दिया। चे ग्वेरा ने छापामार युद्धकला की सफलता में जन सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए बताया है कि जब तक सम्पूर्ण जनता की सहानुभूति छापामारों अर्थात् गुरिल्लों के साथ नहीं होती तब तक ऐसी कार्यवाहियों की सफलता सम्यक नहीं होती। गुरिल्लाओं की शब्दावली में 'हार' शब्द नहीं है और ये लड़ाइयों को तब तक टालते रहते हैं जब तक इनकी विजय के अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण नहीं हो जाता। चे ग्वेरा के कथानुसार, "छापामार कार्यवाही युद्ध के प्रारम्भ में की जाती है अथवा यह वर्तमान युद्ध की तैयारी में की जाती है। छापामार दल एक कमजोर दल का मजबूत दल के विरुद्ध बनाया गया दल है। इसलिए छापामारों या निर्बल दल का साहस बने रहने के लिए यह अति आवश्यक है कि छापामार किसी ऐसे संग्राम या झड़प में भाग न लें जिनमें उनकी हार का अंदेशा हो।"

चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न क्षेत्रों के विचार निम्नलिखित हैं-

1. स्त्रातेजिक (Strategic) विचार चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध से सम्बन्धित विचार साम्यवादी विचारकों (माओ एवं ट्रोट्स्की) से अलग हैं। चे ग्वेरा का विचार है कि पहले शत्रु की जन- शक्ति, गतिशीलता, शस्त्रास्त्र, जन सहयोग नेतृत्व एवं उसकी यौद्धिक संक्रिया की जानकारी करना आवश्यक है। इसके बाद इस प्रकार की खातेजी का निर्माण किया जाये जो इसका सामना कर सके। इस कदम का उद्देश्य शत्रु सेना को नष्ट करना होना चाहिए। उसका विचार है कि शत्रु को सदैव परेशान करते रहना चाहिए, उसे जरा भी आराम नहीं करने देना चाहिए, युद्ध बन्दियों को सोने न दो और उसे मानसिक रूप से परेशान करो। गुरिल्लों को अपनी खातेजी को सफल बनाने के लिए उस क्षेत्र की जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना चाहिए तथा जनसाधारण से युद्ध से पूर्व यह कह दे कि वे जो सुनें वो किसी से न कहें। युद्ध से पूर्व गुरिल्लों को भू-प्रदेश का पूर्ण ज्ञान सतर्कतापूर्वक करना चाहिए। चे ग्वेरा का मत है कि शत्रु के मनोबल को गिराने तथा उसे लुंज-पुंज (Paralyse) करने के लिए तोड़-फोड़ की कार्यवाही करनी चाहिए, जिसके अन्तर्गत औद्योगिक संस्थानों को बन्द कर जनता में बेरोजगारी फैला देनी चाहिए। बिजली, जल आपूर्ति एवं संचार साधनों को तहस-नहस करके जनता को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि यह कार्यवाहियाँ जनसाधारण को परेशान करने के लिए उन्हीं की सरकार ने की है ताकि जनता का सरकार पर से विश्वास उठ जाये। इसके लिए अफवाह तथा प्रचार का सहारा लिया जाता है

2. सामरिक (Tactics) विचार चे ग्वेरा के कथानुसार गुरिल्ला को चाहिए कि "वे पूर्व में शोर मचायें तथा पश्चिम में आक्रमण करें, दक्षिण में छापा मारें और थोड़े समय बाद उत्तर में छापा मारें और भाग जाये।"

गुरिल्लाओं को अपने स्त्रातेजिकीय उद्देश्य की प्राप्ति हेतु ही सामरिकी का प्रयोग करना चाहिए। गुरिल्लाओं को गतिशीलता पर अधिक विश्वास करना चाहिए, क्योंकि गतिशीलता उनके पहुँचने में सहायक होती है। मोर्चे एवं घेरेबन्दी को तोड़ना अत्यन्त आवश्यक है। चे ग्वेरा ने कहा है कि आक्रमण व लक्ष्य की प्राप्ति में आने वाली रुकावटों के साथ निर्दयता का बर्ताव करो, परन्तु शत्रु के दबाव के कारण लड़ रहे लोगों के प्रति दया का भाव बरतो। उसके अनुसार यदि सुरक्षित आधार (Base) की कमी हो तो किसी को बन्दी न बनाओ। जन साधारण के साथ अच्छा व्यवहार करो तथा घायलों की अधिकाधिक सहायता करो तथा गुरिल्ला सैनिकों के उच्च मनोबल का प्रदर्शन करो।

3. अनुकूल भू-प्रदेश में युद्ध - चे ग्वेरा के अनुसार गुरिल्ला अभियान की कार्यवाही की सफलता अनुकूल भू-प्रदेश में ही सम्भव है। यह प्रदेश अथवा क्षेत्र नियमित सेना की पहुँच से बाहर होना चाहिए। शत्रु को बाध्य करना चाहिए कि वह ऐसे ही भू-प्रदेश में युद्ध संचालन करें।

4. आपूर्ति व्यवस्था ( Supply System) - गुरिल्लाओं की सबसे बड़ी आवश्यकता आपूर्ति होती है। इसके लिए उन्हें वहीं की जनता द्वारा बनाई गई वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। चूँकि इस समय नियमित सेना कुछ देने की स्थिति में नहीं होती इसलिए उन्होंने जो भी आपूर्ति जनता से ली है उसे तत्काल वापस भी कर देना चाहिए। अक्सर लोग वस्तुओं को दान या उपहारस्वरूप ही दे देते हैं। चे ग्वेरा का कथन है कि - "यदि आप कर्ज लेते हैं, तो शीघ्र ही चुका दें। आपूर्ति को दिन में एकत्रित कर रात में एक स्थान पर ले जाया जा सकता है। केवल उन्हीं व्यक्तियों को भण्डार बिन्दु की जानकारी होनी चाहिए जो अत्यधिक विश्वस्त हों।

5. सिविल प्रशासन (Civil Administration)- चे ग्वेरा के अनुसार गुरिल्ला क्षेत्र व उसके बाहर भी जनसाधारण को अच्छा जीवन बनाने हेतु सिविल प्रशासन की ओर ध्यान देना चाहिए। कानून की जानकारी रखने वाले लोगों को न्यायाधीश का पद देना चाहिए। स्वास्थ्य के विषय में भी लोगों की तरफ ध्यान देना आवश्यक है। सिविल प्रशासन के द्वारा स्थानीय लोगों की सहायता करनी चाहिए। प्रचार का वृहद् शैक्षणिक स्वभाव होना चाहिए, जो करों का एकत्रीकरण गुप्त रूप से करें तथा गुरिल्ला की विजय को दर्शायें। अपराधियों का मृत्युदण्ड भी विशेष रूप से आवश्यक है।

6. औरतों के कार्य (Role of Women)- चे ग्वेरा के अनुसार एक क्रान्तिकारी संक्रिया में औरतें कई साधारण और महत्वपूर्ण कार्य कर सकती हैं। संचार व्यवस्था एवं यातायात का कार्य इनसे लिया जा सकता है। औरतें सैनिकों का भोजन बना सकती हैं, प्रशिक्षण दे सकती हैं, समाज सेवा कर सकती हैं और यदि आवश्यकता पड़े तो वे हथियार भी धारण कर सकती हैं। यदि ये इन कार्यों में पकड़ी भी जाती हैं तो इनके साथ शत्रुओं का व्यवहार पुरुषों की अपेक्षा नरमी का होगा।

7. तोड़-फोड़ (Sabotage) सम्बन्धी विचार चे ग्वेरा के अनुसार तोड़-फोड़ करना गुरिल्ला सैनिकों की महत्वपूर्ण कार्यवाही है। यह कार्यवाही युद्धक्षेत्र के बाहर करनी चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर इसका उद्देश्य शत्रु के यातायात मार्गों को नष्ट करना होता है। औद्योगिक केन्द्र, संचार व्यवस्था, स्टेशन, पुल, रेल, सड़क आदि जो शत्रु के हाथ में हो नष्ट कर देना चाहिए। चे ग्वेरा के अनुसार ऐसी अविवेक बर्बादी नहीं करनी चाहिए जिससे लोग भूखों मरने लगें और बेरोजगारी बढ़े। युद्ध क्षेत्र में भी तोड़-फोड़ की कार्यवाही करनी चाहिए। शत्रु के आपूर्ति साधनों एवं भण्डारण बिन्दुओं को नष्ट कर देना चाहिए। इसके बाद संचार मार्गों को तोड़ना चाहिए। शत्रु को इतना परेशान करो कि उसे आराम करने का बिल्कुल मौका न मिले।

8. प्रचार (Propoganda) सम्बन्धी विचार- प्रचार (Propoganda)गुरिल्ला युद्धकर्म का एक प्रमुख सिद्धान्त है। प्रचार तन्त्र भी पूर्णरूप से 'संगठित होना  चाहिए। यह प्रचार कार्यकर्त्ताओं द्वारा होने चाहिए।चे ग्वेरा का कथन है कि क्रान्ति को शासित करने वाली विचारधारायें गहराई द्वारा चारों तरफ फैलाई जायें। प्रचार दो विषय में होने चाहिए, एक तो सम्पूर्ण देश के लिए और दूसरा गुरिल्ला सैनिकों के विषय में। दोनों विभागों को एक निर्देशक द्वारा निर्देशित होना चाहिए। राष्ट्रीय प्रचार समाचार पत्र, रेडियो तथा पर्चों द्वारा किसानों, मजदूरों और सिपाहियों में फैलाना चाहिए।

9. गुरिल्ला उद्योग (Gurilla Industry ) - गुरिल्ला उद्योगों के विकास के सम्बन्ध में चे- ग्वेरा का कहना है कि जब किसी भी नगर या क्षेत्र पर अधिकार हो जाये तो आवश्यक उपयोग की वस्तुओं का बड़े स्तर पर निर्माण करना प्रारम्भ कर दो। उसने आवश्यक वस्तुओं को दो श्रेणियों में रखा है-

(i) जनसाधारण की उपयोग की वस्तुएँ, जैसे जूते, सिगरेट आदि तथा

(ii) कैनवास, पानी की बोतलें, बम, गोलियाँ आदि।

10. सामान्य विचार किसी भी क्षेत्र विशेष में छापामार कार्यवाहियों के संचालन में उसने जन सहयोग, भूमि का विस्तृत ज्ञान, जनता में क्रान्तिकारी विचारों का प्रत्यारोपण तथा उत्तम पेट्रोलिंग को महत्वपूर्ण मानते हुए निम्न तत्वों को सफल छापामार सैन्य संक्रिया के संचालन हेतु आवश्यक माना है -

(i) जमीन की दशा का पूर्ण ज्ञान होना अति आवश्यक है।

(ii) सुरक्षात्मक शस्त्रों की सुरक्षा हर स्थिति में आवश्यक है।

(iii) जिस स्थान पर आक्रमण किया जाये वहाँ आने-जाने के कुछ ऐसे मार्गों जिनका महत्व कुछ कम हो, का भी पूरा ज्ञान होना आवश्यक है।

(iv) सम्बन्धित क्षेत्र की जनता के विषय में सम्पूर्ण जानकारी विशेषकर सामग्री देने की क्षमता की जानकारी आवश्यक है।

(v) घायल छापामारों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाना चाहिए।

(vi) जिस ठिकाने पर कार्यवाही हो वहाँ शत्रु की अपेक्षा अधिक सेना एवं सुविधा छापामारों को उपलब्ध होनी चाहिए।

(vii) अन्त में पूर्ण सफलता से छापामार कार्यवाही की जाये और यदि हो सके तो कुछ संख्या में ऐसे छापामार अवश्य हों जो समय पर कुमुक के तौर पर कमी को पूरा करने के लिए आगे भेजे जा सकें।

इस प्रकार चे ग्वेरा ने गुरिल्ला युद्धकर्म पर अपने विचारों को प्रस्तुत करके छापामार युद्धकला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चे ग्वेरा ने अपने इन विचारों में आम जनता का भी पूरा ध्यान रखा गया है। चे ग्वेरा के विचारों में क्रान्तिकारी शोलों के अतिरिक्त नैतिकता के फूल भी दिखाई पड़ते हैं। इसीलिए आज सम्पूर्ण विश्व में चे ग्वेरा के ये विचार अपना एक अलग ही महत्व रखते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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